!! राधे राधे !!
संप्रदाय क्या है?
एक ही धर्म की अलग अलग परम्परा या विचारधारा मानने वालें वर्गों को सम्प्रदाय कहते है। प्राचीनकाल में देव, नाग, किन्नर, असुर, गंधर्व, भल्ल, वराह, दानव, राक्षस, यक्ष, किरात, वानर, कूर्म, कमठ, कोल, यातुधान, पिशाच, बेताल, चारण आदि जातियां हुआ करती थीं। सम्प्रदाय के अन्तर्गत गुरु-शिष्य परम्परा चलती है जो गुरु द्वारा प्रतिपादित परम्परा को पुष्ट करती है। संप्रदाय का धर्मग्रंथ वेद ही है।
वेद और पुराणों से उत्पन्न 5 तरह के संप्रदायों माने जा सकते हैं:- 1. वैष्णव संप्रदाय, 2. शैव संप्रदाय, 3. शाक्त संप्रदाय, 4 सौर (स्मार्त) संप्रदाय और 5. गाणपत्य सम्प्रदाय।
शैवाश्च वैष्णवाश्चैव शाक्ताः सौरास्तथैव च |
गाणपत्याश्च ह्यागामाः प्रणीताःशंकरेण तु || -देवीभागवत ७ स्कन्द
वैष्णव जो विष्णु को ही परमेश्वर मानते हैं, शैव जो शिव को परमेश्वर ही मानते हैं, शाक्त जो देवी को ही परमशक्ति मानते हैं और स्मार्त जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं। अंत में वे लोग जो ब्रह्म को निराकार रूप जानकर उसे ही सर्वोपरि मानते हैं।
1. वैष्णव संप्रदाय:-
वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालों का सम्प्रदाय है।इसके अन्तर्गत चार सम्प्रदाय मुख्य रूप से आते हैं। पहले हैं आचार्य रामानुज, निमबार्काचार्य, बल्लभाचार्य, माधवाचार्य। इसके अलावा उत्तर भारत में आचार्य रामानन्द भी वैष्णव सम्प्रदाय के आचार्य हुए और चैतन्यमहाप्रभु भी वैष्णव आचार्य है जो बंगाल में हुए। रामान्दाचार्य जी ने सर्व धर्म समभाव की भावना को बल देते हुए कबीर, रहीम सभी वर्णों (जाति) के व्यक्तियों को सगुण भक्ति का उपदेश किया। आगे रामानन्द संम्प्रदाय में गोस्वामी तुलसीदास हुए जिन्होने श्री रामचरितमानस की रचना करके जनसामान्य तक भगवत महिमा को पहुँचाया।
विष्णु के अवतार:- शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार बताए हैं, लेकिन प्रमुख 10 अवतार माने जाते हैं- मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि।
24 अवतारों का क्रम निम्न है-1. आदि परषु, 2. चार सनतकुमार, 3. वराह, 4. नारद, 5. नर-नारायण, 6. कपिल, 7. दत्तात्रेय, 8. याज्ञ, 9. ऋषभ, 10. पृथु, 11. मत्स्य, 12. कच्छप, 13. धन्वंतरि, 14. मोहिनी, 15. नृसिंह, 16. हयग्रीव, 17. वामन, 18. परशुराम, 19. व्यास, 20. राम, 21. बलराम, 22. कृष्ण, 23. बुद्ध और 24. कल्कि।
वैष्णव ग्रंथ:- ऋग्वेद में वैष्णव विचारधारा का उल्लेख मिलता है। ईश्वर संहिता, पाद्मतन्त, विष्णु संहिता, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण, महाभारत, रामायण, विष्णु पुराण आदि।
वैष्णव पर्व और व्रत:- एकादशी, चातुर्मास, कार्तिक मास, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, होली, दीपावली आदि।
वैष्णव तीर्थ : बद्रीधाम (badrinath), मथुरा (mathura), अयोध्या (ayodhya), तिरुपति बालाजी, श्रीनाथ, द्वारकाधीश।
वैष्णव संस्कार:- 1. वैष्णव मंदिर में विष्णु, राम और कृष्ण की मूर्तियां होती हैं। एकेश्वरवाद के प्रति कट्टर नहीं है। 2. इसके संन्यासी सिर मुंडाकर चोटी रखते हैं। 3. इसके अनुयायी दशाकर्म के दौरान सिर मुंडाते वक्त चोटी रखते हैं। 4. ये सभी अनुष्ठान दिन में करते हैं। 5. ये सात्विक मंत्रों को महत्व देते हैं। 6. जनेऊ धारण कर पितांबरी वस्त्र पहनते हैं और हाथ में कमंडल तथा दंडी रखते हैं। 7. वैष्णव सूर्य पर आधारित व्रत उपवास करते हैं। 8. वैष्णव दाह-संस्कार की रीति है। 9. यह चंदन का तिलक खड़ा लगाते हैं।
वैष्णव साधु-संत:- वैष्णव साधुओं को आचार्य, संत, स्वामी आदि कहा जाता है।
2. शैव संप्रदाय:-
भगवान शिव तथा उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। शैव में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं। महाभारत में माहेश्वरों (शैव) के चार सम्प्रदाय बतलाए गए हैं: (i) शैव (ii) पाशुपत (iii) कालदमन (iv) कापालिक। शैवमत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में हैं। 12 रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए।
शिव के अवतार:- शिव पुराण में शिव के भी दशावतारों के अलावा अन्य का वर्णन मिलता है, जो निम्नलिखित है- 1. महाकाल, 2. तारा, 3. भुवनेश, 4. षोडश, 5.भैरव, 6.छिन्नमस्तक गिरिजा, 7.धूम्रवान, 8.बगलामुखी, 9.मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।
शिव के अन्य 11 अवतार : 1. कपाली, 2. पिंगल, 3. भीम, 4. विरुपाक्ष, 4. विलोहित, 6. शास्ता, 7. अजपाद, 8. आपिर्बुध्य, 9. शम्भू, 10. चण्ड तथा 11. भव का उल्लेख मिलता है।
इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, हनुमान, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात और नतेश्वर आदि अवतारों का उल्लेख भी 'शिव पुराण' में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है।
शैव ग्रंथ:- वेद का श्वेताश्वतरा उपनिषद (Svetashvatara Upanishad), शिव पुराण (Shiva Purana), आगम ग्रंथ (The Agamas) और तिरुमुराई (Tiru-murai- poems)।
शैव व्रत और त्योहार:- चतुर्दशी, श्रावण मास, शिवरात्रि, रुद्र जयंती, भैरव जयंती आदि।
शैव तीर्थ:- 12 ज्योतिर्लिंगों में खास काशी (kashi), बनारस (Benaras), केदारनाथ (Kedarnath), सोमनाथ (Somnath), रामेश्वरम (Rameshvaram), चिदम्बरम (Chidambaram), अमरनाथ (Amarnath) और कैलाश मानसरोवर (kailash mansarovar)।
शैव संस्कार:- 1. शैव संप्रदाय के लोग एकेश्वरवादी होते हैं। 2. इसके संन्यासी जटा रखते हैं। 3. इसमें सिर तो मुंडाते हैं, लेकिन चोटी नहीं रखते। 4. इनके अनुष्ठान रात्रि में होते हैं। 5. इनके अपने तांत्रिक मंत्र होते हैं। 6. ये निर्वस्त्र भी रहते हैं, भगवा वस्त्र भी पहनते हैं और हाथ में कमंडल, चिमटा रखकर धूनी भी रमाते हैं। 7. शैव चन्द्र पर आधारित व्रत-उपवास करते हैं। 8. शैव संप्रदाय में समाधि देने की परंपरा है। 9. शैव मंदिर को शिवालय कहते हैं, जहां सिर्फ शिवलिंग होता है। 10. ये भभूति तिलक आड़ा लगाते हैं।
शैव साधु-संत:- शैव साधुओं को नाथ, अघोरी, अवधूत, बाबा, ओघड़, योगी, सिद्ध आदि कहा जाता है।
3. शाक्त संप्रदाय:-
मां पार्वती को शक्ति भी कहते हैं। वेद, उपनिषद और गीता में शक्ति को प्रकृति कहा गया है। प्रकृति कहने से अर्थ वह प्रकृति नहीं हो जाती। हर मां प्रकृति है। जहां भी सृजन की शक्ति है, वहां प्रकृति ही मानी गई है इसीलिए मां को प्रकृति कहा गया है। प्रकृति में ही जन्म देने की शक्ति है।
शाक्त संप्रदाय को शैव संप्रदाय के अंतर्गत माना जाता है। शाक्तों का मानना है कि दुनिया की सर्वोच्च शक्ति स्त्रैण है इसीलिए वे देवी दुर्गा को ही ईश्वर रूप में पूजते हैं। सिन्धु घाटी की सभ्यता में भी मातृदेवी की पूजा के प्रमाण मिलते हैं। शाक्त संप्रदाय प्राचीन संप्रदाय है। गुप्तकाल में यह उत्तर-पूर्वी भारत, कम्बोडिया, जावा, बोर्निया और मलाया प्राय:द्वीपों के देशों में लोकप्रिय था। बौद्ध धर्म के प्रचलन के बाद इसका प्रभाव कम हुआ।
मां पार्वती:- मां पार्वती का मूल नाम सती है। ये 'सती' शब्द बिगड़कर शक्ति हो गया। पुराणों के अनुसार सती के पिता का नाम दक्ष प्रजापति और माता का नाम मेनका है। पति का नाम शिव और पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश हैं। यज्ञ में स्वाहा होने के बाद सती ने ही पार्वती के रूप में हिमालय के यहां जन्म लिया था।
इन्हें हिमालय की पुत्री अर्थात उमा हैमवती भी कहा जाता है। दुर्गा ने महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसों का वध करके जनता को कुतंत्र से मुक्त कराया था। उनकी यह पवित्र गाथा मार्केण्डेय पुराण में मिलती है। उन्होंने विष्णु के साथ मिलकर मधु और कैटभ का भी वध किया था।
भैरव, गणेश और हनुमान:- अकसर जिक्र होता है कि मां दुर्गा के साथ भगवान भैरव, गणेश और हनुमानजी हमेशा रहते हैं। प्राचीन दुर्गा मंदिरों में आपको भैरव और हनुमानजी की मूर्तियां अवश्य मिलेंगी। दरअसल, भगवान भैरव दुर्गा की सेना के सेनापति माने जाते हैं और उनके साथ हनुमानजी का होना इस बात का प्रमाण है कि राम के काल में ही पार्वती के शिव थे।
प्रमुख पर्व नवदुर्गा:- मार्कण्डेय पुराण में परम गोपनीय साधन, कल्याणकारी देवी कवच एवं परम पवित्र उपाय संपूर्ण प्राणियों की रक्षार्थ बताया गया है। जो देवी की 9 मूर्तियांस्वरूप हैं जिन्हें 'नवदुर्गा' कहा जाता है, उनकी आराधना आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक की जाती है।
धर्म ग्रंथ:- शाक्त संप्रदाय में देवी दुर्गा के संबंध में 'श्रीदुर्गा भागवत पुराण' एक प्रमुख ग्रंथ है जिसमें 108 देवी पीठों का वर्णन किया गया है। उनमें से भी 51-52 शक्तिपीठों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसी में दुर्गा सप्तशती भी है।
शाक्त धर्म का उद्देश्य:- सभी का उद्देश्य मोक्ष है फिर भी शक्ति का संचय करो। शक्ति की उपासना करो। शक्ति ही जीवन है, शक्ति ही धर्म है, शक्ति ही सत्य है, शक्ति ही सर्वत्र व्याप्त है और शक्ति की हम सभी को आवश्यकता है। बलवान बनो, वीर बनो, निर्भय बनो, स्वतंत्र बनो और शक्तिशाली बनो। तभी तो नाथ और शाक्त संप्रदाय के साधक शक्तिमान बनने के लिए तरह-तरह के योग और साधना करते रहते हैं। सिद्धियां प्राप्त करते रहते हैं।
4. सौर (स्मार्त) संप्रदाय:-
स्मार्त सम्प्रदाय 'द्विज' या 'दीक्षित' उच्च वर्ग के सदस्यों वाला एक हिन्दू धार्मिक सामाजिक सम्प्रदाय है। इसके सदस्यों में मुख्य रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्गों के लोग शामिल हैं। इस सम्प्रदाय में मूलत: ब्राह्मण अनुयायियों की विशेषता हिन्दू देवगण के सभी देवताओं की भक्ति तथा प्राचीन सूत्र पाठों में निर्दिष्ट अनुष्ठान एवं आचार के नियमों का पालन करना है। वे अपने देवता या पूजन-पद्धति के बारे में एकनिष्ठ नहीं हैं। इस सम्प्रदाय को सौर सम्प्रदाय भी कहते हैं।
मुख्य देवता:- उत्तर के स्मार्त दक्षिण एवं गुजरात के अपने प्रतिरूपों से इन अर्थों में कुछ अलग हैं कि इस नाम का मतलब अनिवार्य रूप से शंकर का अनुयायी होना नहीं है। उत्तर में शुद्ध स्मार्त मन्दिर भी दक्षिण की अपेक्षा कम हैं। स्मार्त अन्य देवताओं के बजाए एक देवता को प्राथमिकता दे सकते हैं और आजकल उनमें शिव अत्यधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन वे अपनी उपासना में पाँच मुख्य देवताओं-शिव, विष्णु, शक्ति (उनके दुर्गा, गौरी, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे सभी रूपों सहित), सूर्य एवं गणेश की पंचायतन पूजा करते हैं।
5. गाणपत्य सम्प्रदाय:-
मंत्र - ॐ गं गणपतये नमः
गणपत्य संप्रदाय के लोग गूढ़ हिंदू संप्रदाय के सदस्य है जो गजानन गणेश को परम देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं।
लगभग 10वीं शताबदी में यह संप्रदाय अपने चरम पर था और इसने सभी महत्त्वपूर्ण कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों के प्रारंभ में संतुष्ट किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण देवता के रूप में गणेश की स्थापना की। इस संप्रदाय ने गणेश को समर्पित मंदिर बनवाए, जिनमें सबसे बड़ा, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) में चट्टानों को काटकर बनाया गया मंदिर उच्चि-पिल्लैयार कोविल है। गणेश की पूजा उनकी मूर्ति के समक्ष ध्यान के द्वारा और बिना ध्यान किए फल-फूल अर्पित करके, दोनों तरीके से की जाती है। इस संप्रदाय के सदस्य माथे पर गोल लाल टीका लगाते हैं और कंधों पर हाथी का सिर और दांत का चिह्न अंकित करवाते हैं।
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-अतुल कृष्ण
!! Radhe Radhe !!
What is Sampraday:-
The different classes of the same religion or ideology are
called Sampraday. In ancient times, there were castes such as Dev, Nag, Kinnar,
Asur, Gandharva, Bhalla, Varah, Demon, monster, Yaksh, Kirat, Apar, Kurm,
Kamath, Kol, Yatudhan, Vampire, Betal and Charan etc. Under the community, the
Guru-disciple tradition runs, which reinforces the tradition presented by the
guru. The scripture of the Sampraday is the Vedas only.
Five types of Sampraday originated from the Vedas and Puranas
can be considered: - 1. Vaishnava Sampraday, 2. Shaiva Sampraday, 3. Shakht Sampraday, 4 Soor
(Smratt) Sampraday and 5. Ganpatya Sampraday.
Shaivaashch Vaishnavaashchaiv Shaaktaah Sauraastathaiv Ch |
Gaanapatyaashch Gyaagaamaah Praneetaahshankaren Tu || -Deveebhaagavat 7 Skand
Vaishnav, who believes in Vishnu as God, is a Shiva who believes in Shiva as God, Shastri who regards Goddess as the supreme power and the Smarath who consider the different forms of God as equal. In the end, those people who consider Brahma as formless forms and consider him the paramount.
Shaivaashch Vaishnavaashchaiv Shaaktaah Sauraastathaiv Ch |
Gaanapatyaashch Gyaagaamaah Praneetaahshankaren Tu || -Deveebhaagavat 7 Skand
Vaishnav, who believes in Vishnu as God, is a Shiva who believes in Shiva as God, Shastri who regards Goddess as the supreme power and the Smarath who consider the different forms of God as equal. In the end, those people who consider Brahma as formless forms and consider him the paramount.
1. Vaishnava Sampraday: -
The Vaishnava Sampraday, Lord Vishnu is a community of those who
believe. Under it, four Sampraday come mainly. The first is Acharya Ramanuj,
Nimbarkacharya, Ballabhacharya, Madhavacharya. Apart from this, Acharya
Ramanand in northern India also became the teacher of the Vaishnava Sampraday and
Chaitanya Mahaprabhu is Vaishnav Acharya, who was in Bengal. Ramanadacharya,
while emphasizing the spirit of all religions, Kabir and Rahim preached
Sagittal devotion to all the characters (castes). Goswami Tulsidas in the
Ramanand Sammya further forwarded the creation of Shri Ramcharitmanas to the
masses till God Mahaviya.
Avatars of Vishnu: - In the scriptures, 24 incarnations of
Vishnu are described, but the main 10 incarnations are considered - fishery,
kachch, Varah, Nrusingh, Vaman, Parasuram, Ram, Krishna, Buddha and Kalki.
The sequence of 24 avatars is -1 Etc. Parashu, 2. Char
Satakkumar, 3. Varah, 4. Narada, 5. Nar-Narayana, 6. Kapil, 7. Dattatreya, 8.
Yagn, 9. Rishab, 10. Vidhu, 11. Fishery, 12. Turtle, 13. Dhanvantri, 14.
Mohini, 15. Nrusinh, 16. Hijri, 17. Vaman, 18. Parasuram, 19. Diameter, 20.
Ram, 21. Balram, 22. Krishna, 23. Buddha and 24. Kalki.
Vaishnava texts: - Vignan ideology is mentioned in the Rig
Veda. Ishwar Samhita, Padmantan, Vishnu Samhita, Shathpath Brahmin, Atreya
Brahmin, Mahabharata, Ramayana, Vishnu Puran etc.
Vaishnava Parva and Vrat: - Ekadashi, Chaturmas, Kartik Mas,
Ramnavmi, Krishna Janmashtami, Holi, Deepawali etc.
Vaishnava Teerth:- Badrinath, Mathura (mathura), Ayodhya
(ayodhya), Tirupati Balaji, Srinath, Dwarkadhish.
Vaishnava sanskar: - 1. Vaishnava temple consists of idols
of Vishnu, Ram and Krishna. Not strictly against monotheism. 2. Its sannyasin
heads keep heads peaked. 3. Its followers keep the peak while head shaving
during the day-to-day operation. 4. All these rituals do in the day. 5. They
attach importance to the Sattvic mantras. 6. wearing Janbai, wearing white
clothes and keeping Kandals and punches in hand. 7. Vaishnava fast fasting
based on the sun. 8. Vaishnava is the practice of cremation. 9. It puts the
sandalwood tilak in it.
Vaishnava saint-saint: - Vaishnava sadhus are called
Acharya, saint, lord etc.
2. Shaiv Sampraday: -
Those who believe in Lord Shiva and their incarnations are
called Shaiva. Shaiva is a sub-community of Shakta, Nath, Dasami, Nag etc. In
the Mahabharata, four sects of Maheshwar (Shaiva) have been told: (i) Shaiv
(ii) Pashupat (iii) Kaladaman (iv) Kampalik. The origin of Shiva is in the
worship of Rudra in Guddha. In Rudra Rudra, the main Rudra is called Shiva,
Shankar, Bholenath and Mahadev.
Shiva's incarnation: - In the Shiva Purana, the description
of Shiva is other than the Dashavatars, which is as follows: 1. Mahakala, 2.
Tara, 3. Bhuvanesh, 4. Shodash, 5. Bhairav, 6. Chinnamastak Girija, 7
Dhumrajan, 8.Baglakami, 9.Matang and 10. Kamal are the incarnations. These are
related to ten incarnations of Avatar.
The other 11 incarnations of Shiva: 1. Kapali, 2. Pingal, 3.
Bhima, 4. Surpassing, 4. Delusional, 6. Shasta, 7. Ajdad, 8. Apurbu, 9.
Shambhu, 10. Chand and 11. Bhav Get mentioned.
In addition to these incarnations, incarnations of Shiva's
Durvasa, Hanuman, Mahesh, Taurush, Pipalad, Vaishyaanath, Dwijeshwar, Hansarup,
Avadhooteshwar, Bhankhuvarya, Sureshwar, Brahmachari, Suntantark, Dwij,
Ashwaththama, Kirat and Nateshwar were also mentioned in Shiv Purana. Those who
are considered as numeravata.
Shaiv texts: - The Svetashvatara Upanishad of Vedas, Shiva
Purana, The Agamas and Tirumurai-murai-poems.
Shaiv vrat and festival: - Chaturdashi, Shravan Mass,
Shivratri, Rudra Jayanti, Bhairav Jayanti etc.
Shaiv Shrine: - 12 specializing in Jyotirlingas of kashi,
Benaras, Kedarnath, Somnath, Rameshwaram, Chidambaram, Amarnath and Kailash
Mansarovar.
Shaivite rites: - 1. People of Shaiv Sampraday are monotheists.
2. Its monastic chains keep. 3. Head in it, but do not peel it. 4. Their
rituals are in the night. 5. They have their own tantric mantras. 6. They also
wear nude, wear saffron cloths and keep the kamandl, tongs in their hand and
keep the fooni also. 7. Shaivs fast fast on the moon. 8. There is a tradition
of giving samadhi in Shaiva Sampraday. 9. Shaiva Mandir is called Shiwalaya, where
only Shivalinga happens. 10. These bhudhas apply tilak horizontal.
Shaiva Sadhu-Sant: - Shaiva Sadhus are called Nath, Aghori,
Avadhoot, Baba, Oghar, Yogi, Siddha etc.
3. Shikata Sampraday: -
Mother Parvati is also called Shakti. In Vedas, Upanishads
and Geeta, power is called nature. Saying nature means that nature does not
happen. Every mother is nature. Wherever there is power of creation, nature has
been considered, therefore Mother is said to be nature. Nature has the power to
give birth.
Shakta Sampraday is considered under Shaiva Sampraday. The rulers
believe that the supreme power of the world is feminine, that is why they
worship Goddess Durga in God form. Even in the Indus Valley civilization, there
is evidence of worship of Mother Goddess. Shukta sect is ancient sect. In the
Guptik, it was popular in north-east India, Cambodia, Java, Bornia and Malayan
countries in islands. After the practice of Buddhism, its effects were reduced.
Mother Parvati: - Mother's name is Sarati's original name.
These 'sati' words became power by spoiling. According to the Puranas, Sati's
father's name is Daksha Prajapati and mother's name is Menaka. The husband's
name is Shiva and son Karthikeya and Ganesh. After Swaha in Yagna, Sati was
born as Parvati in the Himalayas.
They are also called the daughter of the Himalayas, ie, Uma
Hamavati. Durga had killed the Mahishasur, Shukha, Nishumbha, etc. and
democratized the masses from the country. His sacred saga is found in the
Marcanday Purana. Together with Vishnu he also slaughtered Madhu and Katabh.
Bhairav, Ganesh and Hanuman: - It is often mentioned that
Lord Bhairav, Ganesh and Hanumanji always live with Mother Durga. In ancient
Durga temples, you will definitely find Bhairav and Hanumanji statues.
Actually, Lord Bhairav is considered the commander of the army of Durga, and
Hanumanji's presence with him is proof that during Ram's time, Parvati was the
only Shiva.
The main festival Navadurga: - The most secretive instrument
in the Markandeya Purana, the welfare goddess armor and the ultimate sacrament,
has been told to protect the whole organism. The 9 idols of the Goddess who are
called 'Navdurga' are worshiped from Ashwin Shukla Paksha, from Pratipada to
Mahanavami.
Dharmic texts:- In relation to the Goddess Durga in the
Shakta Sampraday, 'Sriduga Bhagwat Purana' is a major treatise in which 108 Devi
Peaks are described. 51-52 of them are very important places of Shaktipeeth. In
this, Durga Saptashati is also.
Purpose of Shakta Dharma: - The purpose of all is salvation,
save the power even then. Worship power. Shakti is life, power is religion,
power is truth, power is rife everywhere and we all need power. Be strong, be
brave, be fearless, become free and be powerful. At that time, the seekers of
Nath and Shukta Sampraday continue to practice various yoga and practice to become
powerful. Keep achieving the achievements.
4. Solar (Smrt) Sampraday: -
The Smart Sampraday is a Hindu religious social community with
members of the upper class 'Dviz' or 'Dikshit'. Its members include mainly
Brahmins, Kshatriya and Vaishya sections. The tradition of the Brahmin
followers in this community is to follow the rules of rituals and customs
specified in the devotion of all deities of Hindu deity and the ancient formula
texts. They are not loyal about their god or worship system. This community is
also called a solar community.
Main Devta: - In the north of Smart of South and Gujarat,
there is something different in these meanings that the meaning of this name is
not necessarily to be a follower of Shankar. The pure smarad temple in the
north is also less than the south. Smarat can give priority to a deity rather
than other deities and nowadays Shiva is very popular among them. But they
worship the five main deities - Shiva, Vishnu, Shakti (including all forms of
Durga, Gauri, Lakshmi, Saraswati), Panchayat of Sun and Ganesha in their
worship.
5. Ganpatya Sampraday: -
Ganapati is a community of Hindus who regard Ganapati
(Ganesha) as Saguna Brahma and worship.
Mantra - Gan Ganpatay Namah
People of the Ganapati Sampraday are members of the mystic Hindu Sampraday who worship Ganajanan as Ganesha as the supreme deity and worship him.
In approximately 10th century this Sampraday was at its peak and
it established Ganesh in the form of an important deity to be satisfied at the
beginning of all important works and religious rituals. This Sampraday had built a
temple dedicated to Ganesha, the largest of which was built by cutting the
rocks in Tiruchirappalli (Tamil Nadu), the High-Pillaiyar Kovil. The worship of
Ganesha is done in both ways by meditating before his idol and by offering
fruitful flowers without paying attention. The members of this community plant
a round red vaccine on the forehead and mark the elephant's head and the tooth
mark on the shoulders.
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-Atul Krishan
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